आपको प्रमाण सहीत सिध्द करेंगे की गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नही काल ने दिया है।
गीता से प्रमाणित :-
प्रमाण नं (01):- गीता अध्याय 10 में जब गीता ज्ञान दाता ने अपना विराट रूप दिखा दिया तो उसको देखकर अर्जुन कांपने लगा भयभीत हो गया यहां पर यह बताना भी अनिवार्य है कि अर्जुन का साला श्री कृष्णा था क्योंकि कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था।
गीता ज्ञान दाता ने जिस समय अपना भयंकर विराट रूप दिखाया जो हजार भुजाओं वाला था तब अर्जुन ने पूछा कि हे देव आप कौन है? (गीता अध्याय 11 श्लोक 31)
प्रमाण नं (02):- गीता अध्याय 11श्लोक 21 में अर्जुन ने कहा कि आप तो देवताओं के समूह के समूह को ग्रास रहे है जो आपकी स्तुति हाथ जोड़कर भयभीत होकर कर रहे हैं महर्षीयो तथा सिद्धों के समुदाय आपसे अपने जीवन की रक्षार्थ मंगल कामना कर रहे है।
गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता ने बताया कि है अर्जुन! में बड़ा हुआ काल हु। आब प्रवृत्त हुआ हु। अर्थात श्री कृष्ण के शरीर में अब प्रवेश हुआ हु सर्व व्यक्तियों का नाश करूंगा विपक्ष की सर्व सेना तू युद्ध नहीं करेगा तो भी नष्ट हो जाएगी।
इससे सिद्ध हुआ कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रविष्ट होकर काल ने कहा है।
प्रमाण नं (03):- गीता अध्याय 11 श्लोक 47 में गीता ज्ञान दाता ने कहा कि है अर्जुन मैंने प्रसन्न होकर अपनी शक्ति से तेरी दिव्य दृष्टि खोलकर यह विराट रूप दिखाया है यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है।
थोड़ा विचार करें महाभारत ग्रंथ में प्रकरण आता है कि जिस समय श्री कृष्णा जी कौरवों की सभा में उपस्थित थे और उनसे कह रहे थे कि आप दोनों आपस में बातचीत करके अपनी संपत्ति का बंटवारा कर लो युद्ध करना शोभा नहीं देता पांडवों ने कहा कि हमें 5 गांव दे दो हम उनसे निर्वाह कर लेंगे दुर्योधन ने यह भी मांग नहीं मानी और कहा कि पांडवों के लिए सुई की नोक के समान भी राज्य नहीं है युद्ध करके ले सकते हैं इस बात से श्री कृष्ण भगवान बहुत नाराज हो गए तथा दुर्योधन से कहा कि तू पृथ्वी के नाश के लिए जन्मा है कुलनाश करके टिकेगा भले मानव काह आधा राज्य कहां 5 गांव कुछ तो शर्म कर ले।
इतनी बात श्री कृष्ण जी के मुख से सुनकर दुर्योधन राजा आग बबूला हो गया और सभा में उपस्थित अपने भाइयों तथा मंत्रियों से बोला कि इस कृष्ण यादव को गिरफ्तार कर लो उसी समय श्री कृष्ण जी ने विराट रूप दिखाया सभा में उपस्थित सर्व सभासद उस विराट रूप को देखकर भयभीत होकर कुर्सियों के नीचे छिप गए कुछ आंखों पर हाथ रख कर जमीन पर गिर गए श्री कृष्णा जी सभा छोड़कर चले गए तथा अपना विराट रूप समाप्त कर दिया।
अब उस बात पर विचार करते हैं जो गीता अध्याय 11 श्लोक 47 में गीता ज्ञान दाता ने कहा था कि यह मेरा विराट रूप तेरे अतिरिक्त अर्जुन पहले किसी ने नहीं देखा था यदि श्री कृष्ण गीता ज्ञान बोल रहे होते तो यह कभी नहीं कहते कि मेरा विराट रुप तेरे अतिरिक्त पहले किसने नहीं देखा था क्योंकि श्री कृष्णा जी के विराट रूप को कौरव तथा अन्य सभासद पहले देख चुके थे।
इससे साबित हुआ की गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नही काल ने दिया है।
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