किस किस को मिले कबीर भगवान।

कबीर परमात्मा पुणकर्मि भक्तो को ज़िंदा महात्मा का रूप बनाकर प्रकट होकर मिलते हैं और सुक्षम ज्ञान बताते है ।

किस किस को मिले कबीर परमेश्वर ? 

दामोदर सेठ को भी मिले थे परमात्मा ।

कबीर परमात्मा ने अपने शिष्य दामोदर सेठ के डूबते हुए जहाज को बचाकर सैंकड़ों लोगो की रक्षा की थी।


आदरणीय धर्मदास ।

आदरणीय धर्मदास जी को परमात्मा सतलोक से आकर मथुरा में जिंदा महात्मा के रूप में मिले। जिसका प्रमाण उनकी ये वाणी देती है। 

आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। 

सतलोक से चल कर आए, 

काटन जम की जंजीर।। 




रामानंद जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब मिले। 

रामानंद जी को 104 वर्ष की आयु में सत्य ज्ञान समझाकर तथा सतलोक दिखाया।



आदरणीय दादू जी को 7 वर्ष की आयु में पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले। 

उनको सतलोक दिखाकर वापस छोडा । तब दादु जीने अपने अमृतवाणी में कहां था कि, 

जिन मोकु निज नाम दिया, सोई सतगुरू  हमारा ।

दादु दूसरा कोई नहीं ,कबीर सिरजनहार।। 





परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को 1727 में सतलोक से आकर मिले।
अपना तत्वज्ञान कराया, नाम‌ दिया तथा सतलोक दर्शन करवाया।
गरीबदास जी ने वाणी में कहा है- हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।

कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दिया -
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर(समराथल) जाग्यो सोई*
वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।

कबीर परमेश्वर जी अब्राहिम अधम सुल्तान जी को मिले और सार शब्द का उपदेश कराया।
कबीर सागर के अध्याय " सुल्तान बोध" में पृष्ठ 62 पर प्रमाण है:-
प्रथम पान प्रवाना लेई। पीछे सार शब्द तोई देई।।
तब सतगुरु ने अलख लखाया। करी परतीत परम पद पाया।।
सहज चौका कर दीन्हा पाना(नाम)। काल का बंधन तोड़ बगाना।।



मलूक दास जी को परमात्मा मिले
मलूक दास जी ने अपनी वाणी में परमात्मा कबीर साहेब का वर्णन किया है।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।


हनुमान जी को भी मिले थे कबीर परमात्मा
कबीर सागर के "हनुमान बोध" में परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा हनुमान जी को शरण में लेने का विवरण है।
परमेश्वर कबीर जी ने हनुमान जी को शरण में लेकर उनमें सत्य भक्ति बीज डाला ।


त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया।
उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे।
धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है,
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन्य-धन्य सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले।

नानक जी को कबीर साहेब जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे।
उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है
गुरु ग्रन्थ साहिब
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।



परमात्मा कबीर साहेब ही नरसिंह रूप धर कर आए थे'
वाणी:-
गरीब प्रहलाद भक्त कुँ दई कसौटी, चौरासी बर ताया। नरसिंह रूप धरे नारायण, खंभ फाड़ कर आया।

सुपच सुदर्शन को मिले कबीर परमात्मा
द्वापर युग में परमात्मा कबीर जी करुणामय नाम से आए हुए थे। उस समय सुपच सुदर्शन को मिले, अनमोल ज्ञान देकर उन्हें सतलोक का वासी किया।

विभीषण और मंदोदरी को मिले थे परमात्मा
"कबीर सागर" में प्रमाण है कि त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर जी मुनींद्र ऋषि के रूप में आए थे। विभीषण और मंदोदरी को शरण में लेकर उन्हें नाम उपदेश देकर सत्य भक्ति प्रदान की। पूरी लंका नगरी में केवल वे दोनों ही भक्ति भाव तथा साधु विचार वाले थे। जिस कारण उनका अंत नहीं हुआ।

गरुड़ जी को हुए परमात्मा के दर्शन
"कबीर सागर" के गरुड़ बोध में कबीर परमेश्वर द्वारा पक्षीराज गरुड़ जी को शरण में लेने का विवरण मिलता है।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को शरण में लेकर सतभक्ति प्रदान की थी।






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