कबीर परमेश्वर चारो युगो मे आते हैं।


सतगुरू पुरुष कबीर है ,चारो युग प्रदान। 

झुठे गुरूवा मर गए ,हो गए भूत मसान ।

कबीर परमात्मा हर युग में आते हैं
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे कवि कहने लग जाते हैं,

'सतयुग मे कविर्देव का सतसुकृत नाम से प्रकट होना 

पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) वेदों के ज्ञान से भी पूर्व सतलोक में विद्यमान थे तथा अपना वास्तविक ज्ञान (तत्वज्ञान) देने के लिए चारों युगों में भी स्वयं प्रकट हुए हैं। 


सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं।

पुर्ण परमात्मा कबीर साहेब सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। तब श्री गरुड़ जी श्री ब्रह्मा जी को मिले थे और अपना मूल ज्ञान समझाया था।
श्री मनु ऋषि को भी परमेश्वर कबीर जी ने ज्ञान सजाया था मगर उन्होंने यह ज्ञान स्वीकार नहीं किया उनको यह सत्य नही लगा।




त्रेता युग में कबीर साहेब का मुनिंदर नाम से प्रकट होना।

त्रोतायुग में स्वयंभु (स्वयं प्रकट होने वाला) कविर्देव (कबीर परमेश्वर) रूपान्तरकरके मुनिन्द्र ऋषि के नाम से आए हुए थे अनल अर्थात् नल तथा अनील अर्थात् नील। दोनों आपस में मौसी के पुत्र थे। माता-पिता का देहान्त हो चुका था नल तथानील दोनों शारीरिक व मानसिक रोग से पीड़ित थे। इस रोग को खत्म करने के लिए वह आने को संतो के पास गए थे मगर उन्होंने कहा कि यह तुम्हारा प्रारब्ध का पाप है इसे तुम को भोगना ही पड़ेगा।
इसके वजह से अपनी जिंदगी से तंग आकर मरने की  राह देख रहे थे इसी दौरान मुनिंदर नाम से जो कबीर परमात्मा आए थे उनकी सत्संग वाणी सुनने को मिली और उन्होंने उनकी लाइलाज बिमारी को ठीक कर दिया था।





त्रेता युग में रावण की पत्नी मंदोदरी क्यों परमेश्वर मुनींद्र ऋषि जी (कबीर परमेश्वर जी) ने सत्य ज्ञान समझाकर उपोदेश प्रदान कर उनका कल्याण करवाया। 




कबीर परमात्मा चारों युगों में आते हैं
यजुर्वेद के अध्याय नं. 29 के श्लोक नं. 25 (संत रामपाल जी महाराज द्वारा भाषा-भाष्य):-
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होता है उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा कर रहे होते हैं। 

कबीर परमेश्वर जी का द्वापार युग मे करुणामय नाम से प्रकट होना। 

पांडवों की अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि, महर्षि, मंडलेश्वर  उपस्थित थे यहां तक कि भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे फिर भी उनका शंख नहीं बजा कबीर परमेश्वर ने सुदर्शन सुपच वाल्मीकि के रूप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया। "गरीब सुपच रुप धरि आईया, "


 सुदर्शन जी ने पाण्डवों की यज्ञ सफल की थी। जो न तोश्री कृष्ण जी के भोजन करने से सफल हुई थी, न ही तेतीस करोड़ देवताओं, अठासीहजार ऋषियों, बारह करोड़ ब्राह्मणों, नौ नाथों, चौरासी सिद्धों आदि के भोजन खानेसे सफल हुई थी। भक्त सुदर्शन वाल्मीक पूर्ण गुरु जी से हुई। 


कलयुग में पूर्ण परमात्मा  कबीर देव नाम से आते हैं |

कलियुग मे कबीर परमेश्वर अपने वास्तविक नाम कबीर देव से काशी के लहरताला तलाब के कमल के फुल पर आके प्रकट हुये थे। 

जिस परमेश्वर ने सभी ब्रह्मांड को बनाया वह परमेश्वर कबीर है कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं चारों युगों में नाम सतयुग में सत सुकृत  त्रेता नाम मुनेंद्र द्वापर में करुणामय में कहा या कलयुग नाम कबीर धराया यह प्रमाण भी है परमात्मा के आने का ।
कलियुग मे कबीर परमेश्वर जी 
~आदरणीय धर्मदास साहेब जी 
~आदरणीय दादू साहेब जी 
~आदणीय मलूक दास साहेब जी 
 ~आदरणीय गरीबदास साहेब जी 
 ~आदरणीय नानक साहेब जी 
~आदरणीय घीसा दास साहेब जी को मिले थे ।


  
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे9।
पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है ।


कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं अपने शब्द ज्ञान का प्रचार करने आते हैं और इस कलयुग में भी संत रामपाल जी महाराज जी का रूप धारण कर कबीर परमात्मा इस धरती पर आए हैं आप भी उनसे नाम दीक्षा ले और अपने मनुष्य जीवन का कल्याण करें। 




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