कबीर परमात्मा का गुढ ज्ञान।
कबीर परमात्मा के पास ज्ञान का भंडार है। उनके ज्ञान के सामने बाकी ज्ञान फेल है।
और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सौ ज्ञान।
जैसे गोला तोप का, करता चले मैदान।।
कबीर परमेश्वर जी ने सभी लोगों को सद्भक्ति बताकर बुराइयों, कुरीतियों और पाखंडवाद से दूर होने का ज्ञान दिया।
परमात्मा कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैं अपनी प्यारी आत्माओं को काल के जाल से निकालने के लिए काल के इन 21 ब्रह्मांडो में घुमता रहता हूं और सत्य ज्ञान देकर व शास्त्र के अनुसार भक्ति बताता हु।
सतभक्ति से ही मनुष्य जन्म सफल होता है।
मानुष जन्म दुर्लभ है, ये मिले ना बारंबार।
जैसे तरवर से पत्ता टूट गिरे, वो बहुर न लगता डार।।
सभी धर्मगुरूओं का कहना था और आज भी कहना है कि पाप कर्म भोगने से ही समाप्त होगा । लेकिन कबीर परमेश्वर ने बताया है कि सतभक्ति और सतमंत्रो से सारे पाप समाप्त हो जाते है।
"जबही सतनाम ह्रदय धरो, भयो पाप को नाश।
जैसी चिंगारी अग्नि की, पडि पुरानी घास।
कबीर परमात्मा ने ही तत्वज्ञान समझाकर मोक्ष मार्ग दिखाया।
परमात्मा कबीर जी
आदरणीय धर्मदास जी
आदरणीय गरीब दास जी
आदरणीय दादू जी
आदरणीय नानक देव जी जैसी पुण्य आत्माओं को अपना तत्वज्ञान समझाया जिससे ये सभी सतभक्ति करके मोक्ष के अधिकारी बने।
कबीर परमेश्वर जी ने गुरू और सतगुरू में भेद बताया तथा सच्चे गुरु के लक्षण बताए।
सतगुरु के लक्षण कहु, मधुरे बेन विनोद, चार वेद छः सास्त्र, वो कह अट्ठारह बोध।।
परमात्मा कबीर जी ने ही बताया हैं । कि अगर सतभक्ति नही की तो काल तुम्हें 84 लाख योनियो के चक्कर में डाल कर कुत्ते, गधे का दर्द भरा जीवन भोगने पर मजबूर करेगा ।
कबीर परमात्मा ने बताया कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव, दुर्गा और ज्योतिनिरंजन काल की उत्पत्ति कैसे हुई।
इसी बात को Saint Rampal Ji महाराज ने शास्त्रो से प्रमाणित कर दिया है।
कबीर परमेश्वर ने ही सतलोक के विषय में बताया कि ऊपर एक ऐसा लोक है जहां सर्व सुख है। वहां कोई कष्ट नहीं है। जिसकी गवाही संत गरीबदास जी ने दी है।
हम सभी को भिन्न-भिन्न धर्म में बांटने वाले काल भगवान है
और हम सभी को पुनः एक करने वाले कबीर परमात्मा है क्योंकि कबीर साहिब जी ही आकर समझाते हैं कि हम सभी एक ही पिता की संतान है ।
आज तक किसी ऋषि महाऋषि धर्मगुरु ने सृष्टि रचना की सही जानकारी नहीं दी कबीर परमेश्वर जी ने सृष्टि रचना के यथार्थ जानकारी दी जिसका भेद आज केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने ही बताया है ।
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