Divine Play of God Kabir.


5 June को कबीर परमेश्वर का प्रकट दिवस है इस दिन परमात्मा बालक रूप धारण करके सतलोक से आये थे और लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर नीरु नीमा को मिले थे|

नीरू को धन प्राप्ति 


कबीर परमेश्वर जब नीरू नीमा को बालक रूप में मिले तब उससे पूर्व दोनों जने मिलकर कपड़ा बुनते थे 25 दिन बच्चे की चिंता में कपड़ा बुनने का कोई कार्य न कर सके जिस कारण से कुछ कर्ज़ नीरू को हो गया फिर कबीर जी ने कहा कि आप चिंता ना हो आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर पालने के बीछने  के नीचे मिलेगी आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म-कर्म में लगाना उस दिन के पश्चात 10 ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरु के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा।





धर्मदस को सदमार्ग दिखाना। 

भक्त धर्मदास जी बांधवगढ़ के धनी सेठ थे देवी तथा शिव पार्वती की पूजा तीर्थों व धामों पर जाकर स्नान करना आदि शास्त्र विरुद्ध साधना किया करता था धर्मदास जी जब तीर्थ यात्रा पर निकले तो परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के वेश में उन्हें मिले और बार-बार ज्ञान की चोट की सतलोक  के दर्शन करें और अपनी शरण में ले लिया।

परमात्मा कबीर जी की अद्भुत लीलाओं और चमत्कारों का वर्णन बहुत सारे संतों की वाणीओं में मिलता है
चारों युगों में परमात्मा सत भक्ति को बनाए रखने के लिए तथा भक्तों का विश्वास परमात्मा में दृढ़ बनाए रखने के लिए चमत्कार करते रहते हैं





एक बार द्रोपदी ने अंधे महात्मा को अपनी साड़ी के कपड़े में से टुकड़ा दिया था क्योंकि आंधे महात्मा की गोपीन पानी में बह गई थी साधु ने आशीर्वाद अनंत चीर पाने का आशीर्वाद दिया कबीर परमात्मा ने चीरहरण में द्रोपदी का चीर बढ़ाकर लाज बचाई।

     🌺गरीबदास जी की वाणी🌺
हम ही अलख अल्लाह है कुतुब गोश्त और पीर।
गरीबदास खालिक धनी हमारा नाम कबीर।





सूखी टहनी हरी भरी करना ।

एक बार जीवा और दत्ता ने संतों की परीक्षा लेने की ठानी कि पृथ्वी पर कोई पूर्ण संत होगा तो उनकी चरणामृत से सूखी डाली हरी हो जाएगी सभी संतो महंतों गुरुओं की परिक्ष। ली  कुछ नहीं हुआ अंत में जिंदा महात्मा रूप में प्रकट कबीर साहब जी का चरणामृत सूखी डाली पर डाला तो उसी समय वह हरी भरी हो गई इसका प्रमाण आज भी गुजरात में भरूच शहर में मौजूद है वह पेड़ जीवा दत्ता ने सूखे खूट पे लेई परीक्षा भारी साहेब कबीर के चरणामृत से हरी हुई ओ डारी।

सदना कसाई का उद्धार:- गरीब राम नाम सदने पिया, बकरे के उपदेश।
अजमेल से उधरे, भक्ति बन्दगी पेश।।
कबीर साहिब ने जिंदा पीर रूप में प्रकट होकर सदना कसाई को ज्ञान समझाया, जीव हत्या बन्द करवाई तथा उसके कटे हुए हाथो को ठीक किया।






मीरा बाई पहले श्री कृष्ण जी की पूजा करती थी।एक दिन संत रविदास जी तथा परमात्मा कबीर जी का सत्संग सुना तो पता चला कि श्री कृष्ण जी नाशवान हैं।समर्थ अविनाशी परमात्मा अन्य है।संत रविदास जी को गुरू बनाया।फिर अंत में कबीर जी को गुरु बनाया।





पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने विट्ठल रूप धारण कर नामदेव की रोटी खाई तथा उसकी झोपड़ी बनाई।
बिठल होकर रोटी खाई, नामदेव की कला बढ़ाई।
पुंण्डरपुर नामा प्रवान, देवल फेर छिवा दई छान।।
कोढ़ की असहनीय पीड़ा ...।

परमात्मा कबीर जी की महिमा गाते हुए दादू  जी कहते हैं :-
जिन मोकूं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार ।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सिरजनहार ।।


अब मैं कलयुग में लीन्हा अवतारा
काशी नगर है अस्थान हमारा।

कबीर नाम है मेरा भाई
ऋषि रामानन्द से दिक्षा पाई।।

🌹विशेष : कबीर प्रकट दिवस - 5 जून 2020 🌹

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