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bakra eid mubarak .

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           जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।                एक धार्मिक व्यक्ति के लिए अनिवार्य है कि वह 1)नशा ना करें 2)मांसाहार ना करें 3)भ्रष्टाचार न करें 4)दुराचार व्यभिचार न करें 5)अहिंसा वादी हो 6)परमारथी हो 7)दानी धर्मी हो मधुर भाषी हो 8) अपने ताकत का अपने शारीरिक बल या पद का दुरुपयोग न करें 9)दयावान हो प्रत्येक प्रकार के पाप से बचे राग द्वेष न करें 10)शास्त्र अनुकूल भक्ति करे चोरी ना करें डाके  ना डालें उपरोक्त बुराइयों से आप बचे रहें और शास्त्र अनुसार भक्ति कर रहे हैं तो आप धार्मिक है अन्यथा आप मानव का बिगड़ा रूप है। मांस खाना अल्लाह का आदेश नही है । नबी मोहम्मद नमस्कार है,  राम रसुल कहाया।  एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नही करद चलाया।  हजरत मोहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार अनुयायीयो ने कभी मांस नहीं खाया।  मांस खाने का आदेश अल्लाहु अकबर का नहीं है।  कुरान शरीफ सूरा-अल-बकरा आयत 22 में कहां है । फल और अ...

कबीर परमात्मा का गुढ ज्ञान।

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कबीर परमात्मा के पास ज्ञान का भंडार है। उनके ज्ञान के सामने बाकी ज्ञान फेल है।  और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सौ ज्ञान। जैसे गोला तोप का, करता चले मैदान।। कबीर परमेश्वर जी ने सभी लोगों को सद्भक्ति बताकर बुराइयों, कुरीतियों और पाखंडवाद से दूर होने का ज्ञान दिया। परमात्मा कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैं अपनी प्यारी आत्माओं को काल के जाल से निकालने के लिए काल के इन 21 ब्रह्मांडो में घुमता रहता हूं और सत्य ज्ञान देकर व शास्त्र के अनुसार भक्ति बताता हु। सतभक्ति से ही मनुष्य जन्म सफल होता है। मानुष जन्म दुर्लभ है, ये मिले ना बारंबार। जैसे तरवर से पत्ता टूट गिरे, वो बहुर न लगता डार।। सभी धर्मगुरूओं का कहना था और आज भी कहना है कि पाप कर्म भोगने से ही समाप्त होगा । लेकिन कबीर परमेश्वर ने बताया है कि सतभक्ति और सतमंत्रो से सारे पाप समाप्त हो जाते है। "जबही सतनाम ह्रदय धरो, भयो पाप को नाश। जैसी चिंगारी अग्नि की, पडि पुरानी घास। कबीर परमात्मा ने ही तत्वज्ञान समझाकर मोक्ष मार्ग दिखाया। परमात्मा कबीर जी आदरणीय धर्मदास जी आदरणीय गरीब दास जी ...

Divine Play of God Kabir.

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5 June को कबीर परमेश्वर का प्रकट दिवस है इस दिन परमात्मा बालक रूप धारण करके सतलोक से आये थे और लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर नीरु नीमा को मिले थे| नीरू को धन प्राप्ति  कबीर परमेश्वर जब नीरू नीमा को बालक रूप में मिले तब उससे पूर्व दोनों जने मिलकर कपड़ा बुनते थे 25 दिन बच्चे की चिंता में कपड़ा बुनने का कोई कार्य न कर सके जिस कारण से कुछ कर्ज़ नीरू को हो गया फिर कबीर जी ने कहा कि आप चिंता ना हो आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर पालने के बीछने  के नीचे मिलेगी आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म-कर्म में लगाना उस दिन के पश्चात 10 ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरु के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा। धर्मदस को सदमार्ग दिखाना।  भक्त धर्मदास जी बांधवगढ़ के धनी सेठ थे देवी तथा शिव पार्वती की पूजा तीर्थों व धामों पर जाकर स्नान करना आदि शास्त्र विरुद्ध साधना किया करता था धर्मदास जी जब तीर्थ यात्रा पर निकले तो परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के वेश में उन्हें मिले और बार-बार ज्ञान की चोट की सतलोक  के दर्शन करें और अपनी शरण में ले...

कबीर परमात्मा के चमत्कार।

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कबीर साहिब जी ही पूर्ण परमात्मा है क्योंकि उन्होंने किसी मां के पेट से जन्म नहीं लिया और ना ही उनकी मृत्यु हुई काशी के लहरतारा तालाब पर आकर प्रकट हुए थे और मगहर शहर से सहशरीर सतलोक चले गए थे क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा है उनके अलावा कोई भी परमात्मा अविनाशी नहीं है और परमात्मा जब भी धरती पर आते हैं तो अनेकों चमत्कार करते हैं कबीर परमात्मा ने भी एसे ही अनेक चमत्कार कीये है। पूर्ण परमात्मा के अलावा कोई और चमत्कार नहीं कर सकता क्योंकि जिसने हम सबको बनाया है उसकी शक्ति को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता है। पूर्ण परमात्मा जब-जब भी धरती पर आये तब-तब चमत्कार किये व अपने आपको पूर्ण परमात्मा सिद्ध किया। परमात्मा जब भी धरती पर आते हैं तब उनकी परवरिश कुंवारी गायों की दूध से होती है ऐसे ही जब बालक कबीर को दूध पिलाने की कोशिश की नीरू नीमा असफल रहे तब कबीर साहब ने कहा कुवारी गाय ले आओ में उसका दूध पियूंगा और ऐसा ही हुआ । ऋग्वेद  मंडल 9 सुक्त 1 मंत्र 9 मे प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरूष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है तब कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है इससे पूर्...

52 Cruelities On God Kabir

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कबीर साहेब को लोग एक संत के रुप में देखते है मगर कबीर साहेब वो भगवान, पूर्ण परमात्मा है जनकि खभी जन्म और मृत्यु नहीं होती है।  कबीर परमात्मा काशी में लहरताला तलाब में कमल के फूल पर आके प्रकट हुये थे ओर मगहर से सह शरीर सतलोक में गये थे। ओर लोगोने उस समर्थ परमात्मा  को बहुत तकलीफ दी थी । मगर वो तो पूर्ण परमात्मा थे कोई उनका कुछ भी बिघाड न सका । एक दिन शेखतकी ने कबीर साहेब को तेल की ओखली में खड़े होने को कहा। फिर शेखतकी ने कोल्हू चलाया। लेकिन कबीर साहेब का कुछ बिगाड़ न सका। इसे कहते हैं पूर्ण परमात्मा की महिमा। सिकन्दर बादशाह ने तेल के परीक्षण के लिए अपनी उंगली डाली  तो उसकी उंगली जल गई। लेकीन अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब जी को कुछ भी नहीं हवा।  दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोधी ने अपने हाथों से कबीर जी को हथकड़ियाँ लगाई,पैरों में बेड़ी तथा गले में लोहे की भारी बेल डाली आदेश दिया गंगा दरिया में डुबोकर मारने का उनको दरिया में फैंक दिया। कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी और लोहे की बेल अपने आप टूट गई । कबीर साहेब को मारने के लिए एक दिन शेख तकी ने सिप...

Maghar Leela of God Kabir.

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परमात्मा कबीर जी के मगहर से सशरीर जाने के प्रमाण को मलूक दास जी भी प्रमाणित करते हुए कहते हैं काशी तज गुरु मगहर आए,दोनों दीन के पीर, कोई गाड़े कोई अग्नि जरावे, ढूंढा ना पाया शरीर। चारदाग से सद्गुरु न्यारा अजर अमर शरीर। दास मलूक सलूक कहत है खोजो खसम कबीर। मगहर लीला 68 मगहर रियासत के अकाल प्रभावित स्थान में गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे । लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां दस मिनट में बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत पालनहार हैं । कबीरपरमात्मा द्वारा शिवजी के श्राप से सूखी नदी में जल बहा दीया मगहर में पहुंचते ही परमात्मा कबीरजी ने जब बहतेपानी में स्नान करने की इच्छा जताई तो बिजली खां ने कहा कि यहां एकआमी नदी है जो शिवजी के श्राप से सूखी हुई है।परमात्माकबीर ने सुखीनदी को जल से बहा दी। कबीर परमेश्वर जी ने मगहर रियासत में 14वीं शताब्दी में पड़े भीषण अकाल को अपनी समर्थ शक्ति से टालकर वर्षा करके सबको जीवनदान दिया। हजारों हिंदू-मुसलमानों ने उपदेश लिया। एक 70 वर्षीय निःसंतान मुसलमान दंपती को पुत्र होने का आशीर्वाद दिया . परमात्मा ...

कबीर परमेश्वर चारो युगो मे आते हैं।

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सतगुरू पुरुष कबीर है ,चारो युग प्रदान।  झुठे गुरूवा मर गए ,हो गए भूत मसान । कबीर परमात्मा हर युग में आते हैं ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे कवि कहने लग जाते हैं, 'सतयुग मे कविर्देव का सतसुकृत नाम से प्रकट होना  पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) वेदों के ज्ञान से भी पूर्व सतलोक में विद्यमान थे तथा अपना वास्तविक ज्ञान (तत्वज्ञान) देने के लिए चारों युगों में भी स्वयं प्रकट हुए हैं।  सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं। पुर्ण परमात्मा कबीर साहेब सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। तब श्री गरुड़ जी श्री ब्रह्मा जी को मिले थे और अपना मूल ज्ञान समझाया था। श्री मनु ऋषि को भी परमेश्वर कबीर जी ने ज्ञान सजाया था मगर उन्होंने यह ज्ञान स्वीकार नहीं किया उनको यह सत्य नही लगा। त्रेत...